• Tuesday, November 05, 2024

कुछ अनकहा सा के लेखक तरंग सिन्हा के साथ साक्षात्कार

'कुछ अनकहा सा' के लेखक तरंग सिन्हा के साथ साक्षात्कार में जानें उनकी कहानी और लेखनी के बारे में रोचक जानकारी |
on Sep 14, 2023
कुछ अनकहा सा के लेखक तरंग सिन्हा के साथ साक्षात्कार | फ्रंटलिस्ट

फ्रंटलिस्ट: इस पुस्तक का शीर्षक "कुछ अनकहा सा…" रखने के पीछे की क्या कहानी है? आपने यही नाम क्यों चुना?

तरंग: कोई खास कहानी नहीं है इसके पीछे। मेरे लिए शीर्षक, कहानी लिखना शुरू करने से पहले जरूरी होता है। हो सकता है कि कहानी पूरी करने से बाद मैं उसे बदल दूँ या ना भी बदलूँ। ये बहुत रैंडम होता है। थोड़ा सा सोचने पर जो भी ज़हन में आ जाए और दिल को भा जाए।

“कुछ अनकहा सा…” दो ऐसे किरदारों की कहानी है जिनके रिश्ते को नाम देना मुश्किल है। कुछ तो है उनके दिल में जो वो बयां नहीं कर सकते, और वो 'कुछ' एक लम्बे अरसे तक अनकहा ही रह जाता है। 

फ्रंटलिस्ट: “कुछ अनकहा सा…” एक सुन्दर सी प्रेम कहानी है। क्या आप हमें बता सकती हैं कि इस किताब  में प्रेम की भावना को किस प्रकार अभिव्यक्त किया गया है?

तरंग: यह कहानी कबीर के दृष्टिकोण से कही गयी है जो एक ऐसी लड़की से प्यार करने लगा है जो उससे बड़ी है। जो उसके पास होकर भी उससे बहुत दूर है। आयशा कबीर की ज़िन्दगी में तब आई जब वो एक टीनएजर था। वो उससे जितना खिंचा-खिंचा रहता, उसकी ओर उतना ही खिंचता चला जाता है। ये ऐसे एहसासात की कहानी है जो दिल में क़ैद रहने को मजबूर है। पर ये एक प्रेम कहानी है, तो जाहिर है कि उन जज़्बातों को रिहा तो होना है। कैसे? ये जानने का मज़ा तो कहानी पढ़ के ही आएगा।

फ्रंटलिस्ट: किताबों में, प्रेम कहानियाँ आम तौर पर रोमैंटिक होती हैं। क्या आपकी किताब में कुछ अनूठा और अद्वितीय है जो पाठकों को प्रेरित कर सकता है?

तरंग: देखिए, प्रेम कहानियां तो तक़रीबन एक जैसी ही होती हैं, वो अद्वितीय नहीं होतीं। कहानी को अलग और अनूठा बनाता है उसे कहने का अंदाज़। इसलिए मैं यह नहीं कहूँगी कि मैंने ऐसी कहानी लिखी है जो पहले कभी कही ही नहीं गयी। हाँ, यह कह सकती हूँ कि मैंने उसे अलग अंदाज़ में कहने की कोशिश की है। किरदार और परिस्थितियाँ रियल हैं, संवाद सहज और भावपूर्ण हैं।

फ्रंटलिस्ट: आपको यह किताब लिखने की प्रेरणा कब और कहाँ से मिली? क्या आप इसको लिखने के पीछे किसी विशेष प्रेरणा स्रोत या अनुभव का उल्लेख कर सकती हैं?

तरंग: मैं अपनी कहानियों को लिखने से पहले ज़्यादा सोचती नहीं। आप यह कह सकते हैं कि मैं एक इंट्यूटिव राइटर हूँ। मेरे ज़हन में कहानियां चलती रहती हैं जिन्हें मैं आमतौर पर लिखती भी नहीं। पर कुछ कहानियां और किरदार ऐसे होते हैं जो आपके मन में बस जाते, मजबूर करते हैं कि आप उन्हें लिखें। शायद इसलिए कहते हैं कि 'आप कहानियों को नहीं, बल्कि कहानियां आपको चुनती हैं।'

बस ऐसे ही दो किरदारों के बीच का एक संवाद मेरे ज़हन में आया और मैंने चार सौ शब्दों की एक अंग्रेज़ी कहानी लिखी। फिर एक दिन यूँ ही, मैंने उसे हिन्दी में लिखना शुरू किया और उसने एक लम्बी (5000 शब्दों की) कहानी की शक्ल इख़्तियार कर ली।

फ्रंटलिस्ट: आपके अनुसार ऐसी कहानियाँ और किताबें हमें प्यार के बारे में क्या सिखा सकती हैं और यह हमारे जीवन को कैसे बेहतर बना सकती हैं?

तरंग: कहानियां हमारे जीवन को बेहतर बनाती हैं। हमारी इमैजिनेशन, कहानी पढ़ते या लिखते वक्त हमारे अंदर जो एक नयी दुनिया बनती है, हमारी ज़िन्दगी को थोड़ा बेहतर बनाती है।

जहाँ तक सिखाने का सवाल है, मेरी कहानी प्यार में सब्र करना सिखाती है। यह कहानी ये सिखाती है कि प्यार में प्यार से ज़्यादा अहम होता है एक दूसरे को समझने की कोशिश करना, एक दूसरे की परवाह और इज़्ज़त करना।

फ्रंटलिस्ट: "हिन्दी दिवस" के अवसर पर कृपया हमें बताएं कि आपकी कहानी "कुछ अनकहा सा…" इस महत्वपूर्ण दिन की भावना को किस प्रकार छूने का प्रयास करती है? 

तरंग: हिन्दी दिवस, हिन्दी भाषा को सम्मान देने, उस भाषा में लिखी अच्छी किताबों और लेखकों के प्रचार और प्रसार का परिचायक है। मेरी हिन्दी कहानियां हिन्दी लेखन के क्षेत्र में एक बहुत छोटा सा कॉन्ट्रिब्यूशन है। हिन्दी एक एक बेहद सुन्दर भाषा है। जो हिन्दी समझते हैं, पढ़ लेते हैं, मगर उपन्यास पढ़ना उन्हें थोड़ा कठिन लगता है, वो ऐसी ही छोटी-छोटी कहानियों से शुरुआत कर सकते हैं।

फ्रंटलिस्ट: बेशक आप एक बेहतरीन लेखिका हैं जिनके पास नीलेश मिश्रा जैसी हस्तियों के लिए लिखने का अनुभव है। इसमें कोई शक नहीं है कि कई लोग आपसे भी सीखते और प्रेरित होते होंगे, तो इस "हिंदी दिवस" पर आप हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उभरते हुए नए लेखकों और लेखिकाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी? 

तरंग: बहुत शुक्रिया!

यही कि खूब पढ़ें; जो विधा आपको आकर्षित करती हो, जैसी कहानियां आप पढ़ना पसंद करते हैं वो पढ़ें। इससे कोई फ़र्क नहीं पढ़ता कि लोग क्या पढ़ रहे हैं।

और खूब लिखें। आपकी कहानियां प्रकाशित हुई हों या ना हुई हों, अगर आपको लिखना अच्छा लगता है, अगर आप नियमित रूप से लिखते हैं, तो आप एक लेखक हैं।

Post a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

0 comments

    Sorry! No comment found for this post.